अश्क आँखों में अब हैं आए से
बात छुपती नहीं छुपाए से
अपनी बातें कहें तो किस से कहें
सब यहाँ लोग हैं पराए से
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
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मीरा-जी
नन्ही जा सो जा
अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं
हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं
इक तिरी याद से इक तेरे तसव्वुर से हमें
उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए
'ग़ालिब'-ओ-'यगाना' से लोग भी थे जब तन्हा
दिल की बात लबों पर ला कर अब तक हम दुख सहते हैं
दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें
और सब भूल गए हर्फ़-ए-सदाक़त लिखना
भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे
कैसे कहें कि याद-ए-यार रात जा चुकी बहुत