यार Poetry (page 62)

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

अहमद फ़राज़

ऐ शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे

अहमद अज़ीम

दस्तक हवा की सुन के कभी डर नहीं गया

अहमद अज़ीम

ये जो रातों को मुझे ख़्वाब नहीं आते 'अता'

अहमद अता

मिरे लिए तिरा होना अहम ज़ियादा है

अहमद अता

मैं तिरी मानता लेकिन जो मिरा दिल है ना

अहमद अता

कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ

अहमद अता

इक अश्क बहा होगा

अहमद अता

एहसास का वसीला-ए-इज़हार है ग़ज़ल

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

ये कैसे बाल खोले आए क्यूँ सूरत बनी ग़म की

आग़ा शायर

शाइर-ए-रंगीं फ़साना हो गया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

चोरी कहीं खुले न नसीम-ए-बहार की

आग़ा हश्र काश्मीरी

ख़ल्वत-सरा-ए-यार में पहुँचेगा क्या कोई

आग़ा हज्जू शरफ़

कभी जो यार को देखा तो ख़्वाब में देखा

आग़ा हज्जू शरफ़

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

तीर-ए-नज़र से छिद के दिल-अफ़गार ही रहा

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

तेरे आलम का यार क्या कहना

आग़ा हज्जू शरफ़

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

आग़ा हज्जू शरफ़

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था

आग़ा हज्जू शरफ़

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

आग़ा हज्जू शरफ़

ख़ुदा-मालूम किस की चाँद से तस्वीर मिट्टी की

आग़ा हज्जू शरफ़

जो सामना भी कभी यार-ए-ख़ूब-रू से हुआ

आग़ा हज्जू शरफ़

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

आग़ा हज्जू शरफ़

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

आग़ा हज्जू शरफ़

हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़

आग़ा हज्जू शरफ़

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