समय Poetry (page 20)

रू-ए-ज़ेबा नज़र नहीं आता

हसरत शरवानी

हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं

हसरत जयपुरी

क़ासिद-ए-ख़ुश-फ़ाल लाया उस के आने की ख़बर

हसरत अज़ीमाबादी

मेरी उस प्यारी झब से आँख लगी

हसरत अज़ीमाबादी

सारी रुस्वाई ज़माने की गवारा कर के

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ये उस की मर्ज़ी कि मैं उस का इंतिख़ाब न था

हाशिम रज़ा जलालपुरी

सारी रुस्वाई ज़माने की गवारा कर के

हाशिम रज़ा जलालपुरी

मज़हब-ए-इश्क़ में शजरा नहीं देखा जाता

हाशिम रज़ा जलालपुरी

साँझ-सवेरे फिरते हैं हम जाने किस वीराने में

हसन रिज़वी

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

हसन नईम

गर्द-ए-शोहरत को भी दामन से लिपटने न दिया

हसन नईम

वो भी कहता था कि उस ग़म का मुदावा ही नहीं

हसन नईम

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

हसन नईम

ख़ुर्शीद की निगाह से शबनम को आस क्या

हसन नईम

बयान-ए-शौक़ बना हर्फ़-ए-इज़्तिराब बना

हसन नईम

कमाँ उठाओ कि हैं सामने निशाने बहुत

हसन अज़ीज़

रात लम्बी भी है और तारीक भी शब-गुज़ारी का सामाँ करो दोस्तो

हसन अख्तर जलील

मैं तलाश में किसी और की मुझे ढूँढता कोई और है

हसन अब्बास रज़ा

एहतियात ऐ दिल-ए-नादाँ वो ज़माने न रहे

हसन आबिद

क़िस्सा-ख़्वानी बाज़ार की एक शाम

हारिस ख़लीक़

तुम आए जब नहीं नाकाम लौट जाने को

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

हक़ीर

शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं

हनीफ़ अख़गर

हर शख़्स अपने आप में सहमा हुआ सा है

हामिद सरोश

सीने में राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

हमीद जालंधरी

ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद

हकीम नासिर

क्या उन को दिल का हाल सुनाने से फ़ाएदा

हाजी लक़ लक़

हर चोट पर ज़माने की हम मुस्कुराए हैं

हैरत सहरवर्दी

सुना है ज़ख़्मी-ए-तेग़-ए-निगह का दम निकलता है

हैरत इलाहाबादी

खींच देता मैं ज़माने पे मोहब्बत के नुक़ूश

हैदर अली जाफ़री

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