वो क्या मस्लहत थी

मैं हस्ती से हव्वा की सूरत

हूँ आदम की ख़्वाहिश का इक शाख़साना

ज़मीं को बसाने का बस इक बहाना!

मैं रोज़-ए-अबद नेकियों का सिला हूँ

न जाने मैं क्या हूँ

गिला ख़ालिक-ए-कुल से कैसे करूँ मैं

उसी की रज़ा हूँ

ये है फ़ख़्र-ए-आदम

कि बस इब्न-ए-आदम

अमीन-ए-ख़ुदा है क़रीन-ए-ख़ुदा है

मिरी हस्ती क्या है

फ़क़त वास्ता है!

ये तस्लीम है

हर सहीफ़े में

मैं आबिदा मोमिना सालिहा थी

मगर जब फ़रिश्तों ने आदम को सज्दा किया था

तो हव्वा कहाँ थी

मैं रूहों के इक़रार के वक़्त

जाने कहाँ कौन सी सफ़ में थी

या नहीं थी?

अगर थी तो इक़रार भी तो किया था

अदम में अगर रूह ख़ुद-मुकतफ़ी थी

तो फिर ख़ालिक़-ए-कुन-फ़काँ की वो क्या मस्लहत थी

कि मैं दूसरी थी!!

(812) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wo Kya Maslahat Thi In Hindi By Famous Poet Arifa Shahzad. Wo Kya Maslahat Thi is written by Arifa Shahzad. Complete Poem Wo Kya Maslahat Thi in Hindi by Arifa Shahzad. Download free Wo Kya Maslahat Thi Poem for Youth in PDF. Wo Kya Maslahat Thi is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Kya Maslahat Thi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.