हम तसव्वुर में उन के उभरने लगे
हम तसव्वुर में उन के उभरने लगे
चश्म-ए-आहू में मंज़र सँवरने लगे
क़ाएदा कुल्लिया हम नहीं जानते
सज्दा करना था बस सज्दा करने लगे
ए गुनाहो बताओ कहाँ ठहरोगे
आसमाँ से सहीफ़े उतरने लगे
जब भी रौशन हुआ है अलाव कोई
हम तिरी राहगुज़र से गुज़रने लगे
पारसाई की है धूम अब के मची
देखो 'जौहर' भी अब तो सुधरने लगे
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