Ghazals of Azhar Iqbal
नाम | अज़हर इक़बाल |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Azhar Iqbal |
ये बार-ए-ग़म भी उठाया नहीं बहुत दिन से
वो माहताब अभी बाम पर नहीं आया
तुम्हारी याद के दीपक भी अब जलाना क्या
मुझ को वहशत हुई मिरे घर से
हुई न ख़त्म तेरी रहगुज़ार क्या करते
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
दिल की गली में चाँद निकलता रहता है