फ़ज़ा का रंग निखरता दिखाई देता है

फ़ज़ा का रंग निखरता दिखाई देता है

है शब तमाम कि सपना दिखाई देता है

लहू का रंग है मिट कर भी रंग लाएगा

उफ़ुक़ का रंग सुनहरा दिखाई देता है

वो जिस ने धूप के मेले को छत मुहय्या की

सड़क पे उस का बसेरा दिखाई देता है

मैं कौन हूँ कि है सब काँच का वजूद मिरा

मिरा लिबास भी मैला दिखाई देता है

सराब लब पे सजाए हर एक फिरता है

मुझे तो शहर भी सहरा दिखाई देता है

तने को छोड़ के पत्तों को थामने वालो

तुम्हें शजर भी तमाशा दिखाई देता है

अभी से कश्तियाँ साहिल पे ले चले लोगो

अभी से तुम को किनारा दिखाई देता है

वो सौंप जाता है मुझ को हवा के हाथों में

उसी का मुझ को सहारा दिखाई देता है

(913) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai In Hindi By Famous Poet Azra Waheed. Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai is written by Azra Waheed. Complete Poem Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai in Hindi by Azra Waheed. Download free Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai Poem for Youth in PDF. Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Faza Ka Rang Nikharta Dikhai Deta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.