बाग़ था फूल थे मोहब्बत थी
बाग़ था फूल थे मोहब्बत थी
याद है चौदह फ़रवरी के दिन
अपने दिन तो गुज़ार बैठा हूँ
चाहिए अब मुझे किसी के दिन
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बाग़ था फूल थे मोहब्बत थी
याद है चौदह फ़रवरी के दिन
अपने दिन तो गुज़ार बैठा हूँ
चाहिए अब मुझे किसी के दिन
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