Funny Poetry (page 2)
जौहर ओ जवाहिर
अनवर मसूद
जन्नत से निकाला हमें गंदुम की महक ने
अनवर मसूद
हम छोड़ के घर अपना आबाद करें सहरा
अतहर शाह ख़ान जैदी
हैं शाएर-ओ-अदीब ओ मुफ़क्किर अज़ीम-तर
अतहर शाह ख़ान जैदी
घरेलू मुलाज़िम
इनाम-उल-हक़ जावेद
इक डॉक्टर मरीज़ को समझा रहा था यूँ
इनाम-उल-हक़ जावेद
एजाज़-ए-इज्ज़
अनवर मसूद
दुआ
अनवर मसूद
दाख़िल-ए-दफ़्तर
अनवर मसूद
दफ़अतन 'अनवर' ख़याल आया है आज उस मुर्ग़ का
अनवर मसूद
भूले से हो गई है अगरचे ये उस से बात
अनवर मसूद
बेगम
इनाम-उल-हक़ जावेद
बाप की नसीहत
इनाम-उल-हक़ जावेद
बख़िया तो उस से एक भी सीधा नहीं लगा
अनवर मसूद
आप कराएँ हम से बीमा छोड़ें सब अंदेशों को
अनवर मसूद
वो डिग्री की बजाए मेम ले कर लौट आया है
इनाम-उल-हक़ जावेद
प्रोफ़ेसर ही जब आते हों हफ़्ता-वार कॉलेज में
इनाम-उल-हक़ जावेद
प्रोफ़ेसर ही जब आते हों हफ़्ता-वार कॉलेज में
इनाम-उल-हक़ जावेद
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
दिलावर फ़िगार
स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
दिलावर फ़िगार
साहब ये चाहते हैं मैं हर हुक्म पर कहूँ
दिलावर फ़िगार
मुशाइरा में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें
दिलावर फ़िगार
मार खाने से मुझे आर नहीं है लेकिन
दिलावर फ़िगार
कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
दिलावर फ़िगार
जो हल्दी से मोहब्बत है तो यारो
दिलावर फ़िगार
जाँ देने को पहुँचे थे सभी तेरी गली में
दिलावर फ़िगार
एक शादी तो ठीक है लेकिन
दिलावर फ़िगार
यगाना क्या!
दिलावर फ़िगार
तरही ग़ज़ल
दिलावर फ़िगार
तमाशा मिरे आगे
दिलावर फ़िगार