स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
जो अक़्ल पर पड़ा है वो पर्दा उठाइए
Parveen Shakir
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Habib Jalib
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पटाख़ा
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
चालीस चोर
लैला मजनूँ की शादी
शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा
शाइ'र से शेर सुनिए तो मिस्रा उठाइए
साहब ये चाहते हैं मैं हर हुक्म पर कहूँ
कराची का क़ब्रिस्तान
तमाशा मिरे आगे
इश्क़ का परचा
अमरीका शेर पढ़ने गए थे हमारे दोस्त