साहब ये चाहते हैं मैं हर हुक्म पर कहूँ
बेहतर दुरुस्त ख़ूब मुनासिब बजा अभी
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एक शादी तो ठीक है लेकिन
लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब
मौसीक़ी से इलाज
लैला मजनूँ की शादी
शाइ'र से शेर सुनिए तो मिस्रा उठाइए
शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा
शायर-ए-आज़म
कराची की बस
शोर से बच्चों के घबराते हैं घर पर और हम
वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
वो शख़्स कभी जिस ने मिरा घर नहीं देखा