वस्ल की रात जो महबूब कहे गुड नाईट
क़ाएदा ये है कि इंग्लिश में दुआ दी जाए
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Gulzar
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या रब मिरे नसीब में अक्ल-ए-हलाल हो
यगाना क्या!
सियाह ज़ुल्फ़ को जो बन-सँवर के देखते हैं
इश्क़ का परचा
शायर-ए-आज़म
लग गए हैं फ़ोन लगने में जो पच्चीस साल
जो हल्दी से मोहब्बत है तो यारो
अदब को जिंस-ए-बाज़ारी न करना
उट्ठी नहीं है शहर से रस्म-ए-वफ़ा अभी
मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो
औरत को चाहिए कि अदालत का रुख़ करे
कराची का क़ब्रिस्तान