अदब को जिंस-ए-बाज़ारी न करना
ग़ज़ल के साथ बदकारी न करना
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साबिक़ वज़ीर
कहा लैला की माँ ने
लंदन में जश्न-ए-ग़ालिब
शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा
मौसीक़ी से इलाज
'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो
अजब अख़बार लिक्खा जा रहा है
कहीं गोली लिखा है और कहीं मार
रिश्वत-ख़ोर सरकारी मुलाज़मीन
जादा-ए-फ़न में बड़े सख़्त मक़ाम आते हैं
मुशाइरा में सुनूँ कैसे सुब्ह तक ग़ज़लें