जाने किस शहर में आबाद है तू
हम हैं बर्बाद यहाँ तेरे बाद
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(691) Peoples Rate This
ज़ख़्म जो तू ने दिए तुझ को दिखा तो दूँ मगर
सख़्त वीराँ है जहाँ तेरे बाद
नश्शा था ज़िंदगी का शराबों से तेज़-तर
है दर्द के इंतिसाब सा कुछ
ग़म-ए-हयात ने बख़्शे हैं सारे सन्नाटे
तर्क-ए-तअल्लुक़ात की बस इंतिहा न पूछ
नक़ाब चेहरे से उस के कभी सरकता था
थोड़ी सी दूर तेरी सदा ले गई हमें
एक ज़हरीली रिफ़ाक़त के सिवा है और क्या
अकेले पार उतर के बहुत है रंज मुझे