ग़ुबार-ए-शब ज़रा इस अम्र की ख़बर करना

ग़ुबार-ए-शब ज़रा इस अम्र की ख़बर करना

कहाँ से है मुझे अब हिज्र का सफ़र करना

ये मौज-ए-बाद-ए-ज़माना है बे-लिहाज़ बहुत

तुम अपने अपने चराग़ों पे इक नज़र करना

रहा न उस को अगर मुझ पे ए'तिमाद तो फिर

किसी हवाले से क्या ख़ुद को मो'तबर करना

दुआएँ दे के ही करना है अब उसे रुख़्सत

फिर अपने साथ जो होना है दरगुज़र करना

वहाँ वहाँ मिरी नींदों को जागता पाना

जहाँ जहाँ मिरे हिस्से की शब बसर करना

है इक ख़याल मकीं कब से ख़ाना-ए-दिल में

ज़रा सी बात पे क्या इस को दर-ब-दर करना

वो दे रहा था मुझे आज बे-घरी की दुआ

तो याद आया बहुत उस का दिल में घर करना

कि माँगना मिरा चेहरा जो शहर-ए-बे-चेहरा

तू अपने वुसअ'त-ए-दामन पे इक नज़र करना

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In Hindi By Famous Poet Narjis Afroz Zaidi. is written by Narjis Afroz Zaidi. Complete Poem in Hindi by Narjis Afroz Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.