कहीं गिरफ़्त नहीं कोई इस्तिआरा नहीं

कहीं गिरफ़्त नहीं कोई इस्तिआरा नहीं

नवाँ फ़लक हूँ कि जिस पर कोई सितारा नहीं

रुके मुंडेर पे कब ताइरान-ए-रंग सदा

सबात हो जिसे ऐसा कोई नज़ारा नहीं

उलझ रहा है मिरा बख़्त फिर मिरे दिल से

हमारा कैसे है वो शख़्स जो हमारा नहीं

दरा-ए-सरहद-ए-अक़्ल-ओ-ख़िरद अगर है ख़ला

तो ये न समझें कि इस बहर का किनारा नहीं

हम अहल-ए-दिल थे सो ये हादिसा तो होना था

कि अहद वो भी सहा है जिसे गुज़ारा नहीं

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In Hindi By Famous Poet Narjis Afroz Zaidi. is written by Narjis Afroz Zaidi. Complete Poem in Hindi by Narjis Afroz Zaidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.