कली कली में निहाँ हिचकिचाहटें पहचान

कली कली में निहाँ हिचकिचाहटें पहचान

तू शाख़-ए-गुल पे गुल-ए-नौ की आहटें पहचान

लहू की आँख से पढ़ मेरे ज़ब्त की तहरीर

लबों पे लफ़्ज़ न गिन कपकपाहटें पहचान

मैं पंखुड़ी की तरह अपने होंट वा कर दूँ

तू तितलियों की तरह गुनगुनाहटें पहचान

महाज़ खोल दिया है तो गहरी नींद न सो

हवा के भेस में हैं संसनाहटें पहचान

ये झूटे नग हैं मगर हुस्न से तराशे हैं

तू जौहरी है अगर जगमगाहटे पहचान

वो काला साँप है तुझ को नज़र न आएगा

तू झाड़ियों में छुपी सरसराहटें पहचान

'नज़ीर' लोग तो चेहरे बदलते रहते हैं

तू इतना सादा न बन मुस्कुराहटें पहचान

(412) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nazeer Tabassum. is written by Nazeer Tabassum. Complete Poem in Hindi by Nazeer Tabassum. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.