नज़्म

मिले कचेहरी में इक रोज़ शैख़ ख़ैराती

है इक ज़माने से उन की मिरी अलैक सलैक

नहीं है झूटी गवाही से इज्तिनाब उन्हें

किया न आज तक इस पर मगर किसी ने अटैक

अलावा इस के अमीरों के हैं ये सप्लायर

कि माल करते हैं ये उन की हस्ब-ए-मंशा पैक

हो जिस में फ़ाएदा वो काम कर गुज़रते हैं

कभी फ़्रंट में जा कर नहीं हैं होते बैक

हिजाज़ जाते हैं हर साल सोना लाने को

ये बिज़नेस आज तक इन की कभी हुई न सलैक

ये हज के दिन भी हैं लब्बैक के एवज़ कहते

ख़ुदा के घर में फ़क़त रब्बना ब्लैक ब्लैक

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In Hindi By Famous Poet Nazish Rizvi. is written by Nazish Rizvi. Complete Poem in Hindi by Nazish Rizvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.