दुनिया अच्छी भी नहीं लगती हम ऐसों को 'सलीम'
और दुनिया से किनारा भी नहीं हो सकता
Anwar Masood
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
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Allama Iqbal
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
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तू सूरज है तेरी तरफ़ देखा नहीं जा सकता
अब जो लहर है पल भर बाद नहीं होगी यानी
तिलिस्म-ख़ाना-ए-अस्बाब मेरे सामने था
मोहलत न मिली ख़्वाब की ताबीर उठाते
लौ को छूने की हवस में एक चेहरा जल गया
कभी सितारे कभी कहकशाँ बुलाता है
वहाँ महफ़िल न सजाई जहाँ ख़ल्वत नहीं की
न कोई नाम ओ नसब है न गोश्वारा मिरा
अजनबी हैरान मत होना कि दर खुलता नहीं
इस आलम-ए-हैरत-ओ-इबरत में कुछ भी तो सराब नहीं होता
मुलाक़ातों का ऐसा सिलसिला रक्खा है तुम ने
अभी हैरत ज़ियादा और उजाला कम रहेगा