वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है
मिरी यादों में इक भूला हुआ चेहरा भी रहता है
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Wasi Shah
Javed Akhtar
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(563) Peoples Rate This
दीवार
मैं फिर से हो जाऊँगा तन्हा इक दिन
रेत की सूरत जाँ प्यासी थी आँख हमारी नम न हुई
तर्ग़ीब
मैं अपनी आँखों से अपना ज़वाल देखता हूँ
दर्द के इताब ले दोस्त उसे शुमार कर
मैं वो हूँ जिस पे अब्र का साया पड़ा नहीं
ख़ामुशी छेड़ रही है कोई नौहा अपना
एक कुत्ता नज़्म
ये कौन आया शबिस्ताँ के ख़्वाब पहने हुए
मस्ताना हीजड़ा