आँखें ज़मीन और फ़लक दस्तकार हैं

आँखें ज़मीन और फ़लक दस्तकार हैं

पानी के जितने रूप हैं सब मुस्तआ'र हैं

ख़ुद को अकेला जान के तन्हा न जानना

ये आइने नहीं हैं तिरे पहरे-दार हैं

मुश्किल की इस घड़ी में करूँ किस से मशवरा

कुछ दोस्त हैं तो वो भी फ़साना-निगार हैं

ये छाँव जैसी धूप हमारा मिज़ाज है

हम लोग आफ़्ताब हैं और साया-दार हैं

'आरिश' जो मेरे सर पे नहीं हो सके सवार

वो सारे लोग मेरी कमर पर सवार हैं

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In Hindi By Famous Poet Sarfraz Arish. is written by Sarfraz Arish. Complete Poem in Hindi by Sarfraz Arish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.