शाद अज़ीमाबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शाद अज़ीमाबादी (page 3)
नाम | शाद अज़ीमाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shad Azimabadi |
जन्म की तारीख | 1846 |
मौत की तिथि | 1927 |
न जाँ-बाज़ों का मजमा था न मुश्ताक़ों का मेला था
न दिल अपना न ग़म अपना न कोई ग़म-गुसार अपना
लुत्फ़ क्या है बे-ख़ुदी का जब मज़ा जाता रहा
क्यूँ हो बहाना-जू न क़ज़ा सर से पाँव तक
क्या फ़क़त तालिब-ए-दीदार था मूसा तेरा
कुछ कहे जाता था ग़र्क़ अपने ही अफ़्साने में था
किस पे क़ाबू जो तुझी पे नहीं क़ाबू अपना
किस बुरी साअत से ख़त ले कर गया
काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का
जिए जाएँगे हम भी लब पे दम जब तक नहीं आता
जिसे पाला था इक मुद्दत तक आग़ोश-ए-तमन्ना में
हज़ार हैफ़ छुटा साथ हम-नशीनों का
हरगिज़ कभी किसी से न रखना दिला ग़रज़
ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया
फ़क़त शोर-ए-दिल-ए-पुर-आरज़ू था
एक सितम और लाख अदाएँ उफ़ री जवानी हाए ज़माने
ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
ऐ बुत जफ़ा से अपनी लिया कर वफ़ा का काम
अगर मरते हुए लब पर न तेरा नाम आएगा
अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र में असर आया
अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया