चमन लहक के रह गया घटा मचल के रह गई

चमन लहक के रह गया घटा मचल के रह गई

तिरे बग़ैर ज़िंदगी की रुत बदल के रह गई

ख़याल उन के साथ साथ देर तक चला किया

नज़र तो उन के साथ थोड़ी दूर चल के रह गई

वो इक निगाह-ए-मेहर-बाँ का इल्तिफ़ात-ए-मुख़्तसर

अंधेरे घर में जैसे कोई शम्अ जल के रह गई

कहाँ चमन की सुब्ह में चमन का हुस्न-ए-नीम-शब

कँवल बिखर के रह गए कली मसल के रह गई

जलाई थी तो जो दो दिलों ने इक हसीन रात में

वो शम्अ अब भी है जवाँ वो रात ढल के रह गई

चमन का प्यार मिल सका न दश्त की बहार को

कली बिकस के रह गई सबा मचल के रह गई

वो मेरा दिल था जो पराई आग में जला किया

वो शम्अ थी जो अपनी आँच में पिघल के रह गई

हर एक जाँ-गुदाज़ ग़म का मा-हसल यही रहा

कि ग़म के मशग़लों में ज़िंदगी बहल के रह गई

'शमीम' उन की इक झलक भी ता सहर न मिल सकी

निगाह-ए-शौक़ करवटें बदल बदल के रह गई

(754) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shamim Karhani. is written by Shamim Karhani. Complete Poem in Hindi by Shamim Karhani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.