आग Poetry (page 29)

मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है

फ़रहत एहसास

मिरे सुबूत बहे जा रहे हैं पानी में

फ़रहत एहसास

क्या बैठ जाएँ आन के नज़दीक आप के

फ़रहत एहसास

जब उस को देखते रहने से थकने लगता हूँ

फ़रहत एहसास

बुझ गए सारे चराग़-ए-जिस्म-ओ-जाँ तब दिल जला

फ़रहत एहसास

सिकंदर हूँ तलाश-ए-आब-ए-हैवाँ रोज़ करता हूँ

फ़रीद परबती

ख़ुद ही दिया जलाती हूँ

फ़रह इक़बाल

बहला न दिल न तीरगी-ए-शाम-ए-ग़म गई

फ़ानी बदायुनी

क़सम न खाओ तग़ाफ़ुल से बाज़ आने की

फ़ानी बदायुनी

मुझ को मिरे नसीब ने रोज़-ए-अज़ल से क्या दिया

फ़ानी बदायुनी

ख़ुशी से रंज का बदला यहाँ नहीं मिलता

फ़ानी बदायुनी

ख़ुदा असर से बचाए इस आस्ताने को

फ़ानी बदायुनी

अदा से आड़ में ख़ंजर के मुँह छुपाए हुए

फ़ानी बदायुनी

दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा

फ़ना निज़ामी कानपुरी

दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा

फ़ना निज़ामी कानपुरी

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

फ़ना बुलंदशहरी

जल्वा जो तिरे रुख़ का एहसास में ढल जाए

फ़ना बुलंदशहरी

ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-हस्ती ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दिल

फ़ना बुलंदशहरी

बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं

फ़ना बुलंदशहरी

वो पहले अंधे कुएँ में गिराए जाते हैं

फख्र ज़मान

बला से बर्क़ ने फूँका जो आशियाने को

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शीशों का मसीहा कोई नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शहर-ए-याराँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सफ़र नामा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

निसार मैं तेरी गलियों के

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

लाओ तो क़त्ल-नामा मिरा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ईरानी तलबा के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हज़र करो मिरे तन से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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