दश्त Poetry (page 13)

भूकी है ज़मीं भूक उगलती ही रहेगी

शब्बीर नकिद

आशिक़ की जान जाती है इस बाँकपन को छोड़

शबाब

निकले तिरी दुनिया के सितम और तरह के

शानुल हक़ हक़्क़ी

ऐ दिल तिरे ख़याल की दुनिया कहाँ से लाएँ

शानुल हक़ हक़्क़ी

कौन दरवाज़ा खुला रखता बराए इंतिज़ार

सीमाब ज़फ़र

अल्लाह दे सके तो दे ऐसी ज़बाँ मुझे

सीमाब सुल्तानपुरी

सुनी न दश्त या दरिया की भी कभी मैं ने

सीमा शर्मा मेरठी

रोज़ इक रास्ता बदलता है

सीमा शर्मा मेरठी

हक़ीक़त ज़ीस्त की समझा नहीं है

सीमा शर्मा मेरठी

सानेहे लाख सही हम पे गुज़रने वाले

सीमा नक़वी

अब के अजब सफ़र पे निकलना पड़ा मुझे

सय्यद ताबिश अलवरी

सफ़र-ब-ख़ैर प रख़्त-ए-सफ़र न ले जाना

सय्यद नसीर शाह

जो भी तख़्त पे आ कर बैठा उस को यज़्दाँ मान लिया

सय्यद नसीर शाह

वीरानियों के ख़ार तो फूलों की छुवन भी

सौरभ शेखर

आख़िरश आराइशों की ज़िंदगी चुभने लगी

सौरभ शेखर

नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

दिल ले के हमारा जो कोई तालिब-ए-जाँ है

मोहम्मद रफ़ी सौदा

नुमू-पज़ीर है इक दश्त-ए-बे-नुमू मुझ में

सऊद उस्मानी

कभी सराब करेगा कभी ग़ुबार करेगा

सऊद उस्मानी

इश्क़ सामान भी है बे-सर-ओ-सामानी भी

सऊद उस्मानी

गुज़र चली है शब-ए-दिल-फ़िगार आख़िरी बार

सऊद उस्मानी

हमारे दिल में मचलेगी किसी की आरज़ू कब तक

सत्यपाल जाँबाज़

वही है दश्त-ए-सफ़र रहगुज़र से आगे भी

सत्तार सय्यद

पस-ए-आइना ख़द-ओ-ख़ाल में कोई और था

सत्तार सय्यद

उसी किनारा-ए-हैरत-सरा को जाता हूँ

सरवत हुसैन

हवा ओ अब्र को आसूदा-ए-मफ़्हूम कर देखूँ

सरवत हुसैन

फ़ुरात-ए-फ़ासिला से दजला-ए-दुआ से उधर

सरवत हुसैन

डॉज-महल

सरफ़राज़ शाहिद

काली घटा कब आएगी फ़स्ल-ए-बहार में

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

यूँ अकेला दश्त-ए-ग़ुर्बत में दिल-ए-नाकाम था

साक़िब लखनवी

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