दिन Poetry (page 50)

राह दोनों की वही है सामना हो जाएगा

इक़बाल माहिर

ख़िज़ाँ का दौर भी आता है एक दिन 'कैफ़ी'

इक़बाल कैफ़ी

लब-ए-गुदाज़ पे अल्फ़ाज़-ए-सख़्त रहते हैं

इक़बाल कैफ़ी

समुंदर के किनारे इक समुंदर आदमियों का

इक़बाल हैदर

ज़हर के घूँट भी हँस हँस के पिए जाते हैं

इक़बाल अज़ीम

तुम ग़ैरों से हँस हँस के मुलाक़ात करो हो

इक़बाल अज़ीम

अब इसे क्या करे कोई आँखों में रौशनी नहीं

इक़बाल अज़ीम

आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की

इक़बाल अशहर

भीगी भीगी पलकों पर ये जो इक सितारा है

इक़बाल अशहर

कुछ इशारा जो किया हम ने मुलाक़ात के वक़्त

इंशा अल्लाह ख़ान

तुम्हारे हाथों की उँगलियों की ये देखो पोरें ग़ुलाम तीसों

इंशा अल्लाह ख़ान

एक दिन रात की सोहबत में नहीं होते शरीक

इंशा अल्लाह ख़ान

दस अक़्ल दस मक़ूले दस मुद्रिकात तीसों

इंशा अल्लाह ख़ान

बंदगी हम ने तो जी से अपनी ठानी आप की

इंशा अल्लाह ख़ान

वो जो कहीं नहीं है

इंजिला हमेश

ख़ुदा से कलाम

इंजिला हमेश

राज़ी-नामा

इंजील सहीफ़ा

शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो

इन्दिरा वर्मा

पड़ता था इस ख़याल का साया यहीं कहीं

इनाम नदीम

आसूदा-ए-मता-ए-करम बोलते नहीं

इनाम हनफ़ी

हर बे-ख़ता है आज ख़ता-कार देखना

इम्तियाज़ साग़र

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

सूदी बेगम

इमरान शमशाद

काला

इमरान शमशाद

रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ अच्छा हो जाएगा

इमरान शमशाद

ढूँडिए दिन रात हफ़्तों और महीनों के बटन

इमरान शमशाद

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

ख़िज़ाँ के होश किसी रोज़ मैं उड़ाता हुआ

इमरान हुसैन आज़ाद

दीवानगी में अपना पता पूछता हूँ मैं

इमरान हुसैन आज़ाद

परिंदा आइने से क्या लड़ेगा

इमरान आमी

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