जाम Poetry (page 23)

जब सजीले ख़िराम करते हैं

फ़ाएज़ देहलवी

ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू

फ़ाएज़ देहलवी

रुस्वा भी हुए जाम पटकना भी न आया

एज़ाज़ अफ़ज़ल

जब फैल के वीरानों से वीराने मिलेंगे

एज़ाज़ अफ़ज़ल

आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

किस क़दर मसअला-ए-शाम-ओ-सहर बदला है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

नूर की किरन उस से ख़ुद निकलती रहती है

एजाज़ सिद्दीक़ी

गया था बज़्म-ए-मोहब्बत में ख़ाली जाम लिए

एहतिशाम हुसैन

अक़्ल पहुँची जो रिवायात के काशाने तक

एहतिशाम हुसैन

तुम अच्छे मसीहा हो दवा क्यूँ नहीं देते

एहसान जाफ़री

शदीद गरमी के मौसम में मुशाइरा

दिलावर फ़िगार

लग गए हैं फ़ोन लगने में जो पच्चीस साल

दिलावर फ़िगार

'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो

दिलावर फ़िगार

मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है

दिल शाहजहाँपुरी

मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है

दिल शाहजहाँपुरी

तेरा क्या जाता जो मिलता जाम-ए-रेहानी मुझे

धनपत राय थापर राज़

मज़दूर

दाऊद ग़ाज़ी

निगाह-ए-यार सूँ हासिल है मुझ कूँ मय-नोशी

दाऊद औरंगाबादी

जब वो मह-ए-रुख़्सार यकायक नज़र आया

दाऊद औरंगाबादी

हुस्न इस शम्अ-रू का है गुल-रंग

दाऊद औरंगाबादी

अगर वो गुल-बदन मुझ पास हो जावे तो क्या होवे

दाऊद औरंगाबादी

आज बदली है हवा साक़ी पिला जाम-ए-शराब

दाऊद औरंगाबादी

एक और शराबी शाम

दर्शिका वसानी

रक़्स करती है फ़ज़ा वज्द में जाम आया है

दर्शन सिंह

निगाह-ए-मस्त-ए-साक़ी का सलाम आया तो क्या होगा

दर्शन सिंह

हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली

दर्शन सिंह

साक़ी मिरे भी दिल की तरफ़ टुक निगाह कर

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

सल्तनत पर नहीं है कुछ मौक़ूफ़

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो

दाग़ देहलवी

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

दाग़ देहलवी

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