जिन्न Poetry (page 28)

ऐ कातिब-ए-तक़दीर ये तक़दीर में लिख दे

फ़रहत नदीम हुमायूँ

कुछ तो वुफ़ूर-ए-शौक़ में बाइ'स-ए-इम्तियाज़ हो

फ़रहत कानपुरी

सब ने'मतें हैं शहर में इंसान ही नहीं

फ़रहत एहसास

सब मिरा आब-ए-रवाँ किस के इशारों पे बहा जाता है

फ़रहत एहसास

इश्क़ में कितने बुलंद इम्कान हो जाते हैं हम

फ़रहत एहसास

ख़याल आतिशीं ख़्वाबीदा सूरतें दी हैं

फ़रहत अब्बास

शुहूद-ए-दिल-ज़दगाँ मंज़रों में रख आना

फ़रहान सालिम

शिकस्त-ए-आसमाँ हो जाऊँगा मैं

फ़रहान सालिम

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

न बुत-कदे में न का'बे में सर झुकाने से

फ़रीद जावेद

न बुत-कदे में न का'बे में सर झुकाने से

फ़रीद जावेद

किस उजाले का निशाँ हैं हम लोग

फ़रीद जावेद

तक़ाज़ा

फ़रीद इशरती

फ़नकार और मौत

फ़रीद इशरती

कमी ज़रा सी अगर फ़ासले में आ जाए

फ़राग़ रोहवी

मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख

फ़ानी बदायुनी

यूँ नज़्म-ए-जहाँ दरहम-ओ-बरहम न हुआ था

फ़ानी बदायुनी

ये किस क़यामत की बेकसी है ज़मीं ही अपना न यार मेरा

फ़ानी बदायुनी

नहीं मंज़ूर तप-ए-हिज्र का रुस्वा होना

फ़ानी बदायुनी

क्यूँ न नैरंग-ए-जुनूँ पर कोई क़ुर्बां हो जाए

फ़ानी बदायुनी

कुछ कम तो हुआ रंज-ए-फ़रावान-ए-तमन्ना

फ़ानी बदायुनी

हासिल-ए-इल्म-ए-बशर जहल का इरफ़ाँ होना

फ़ानी बदायुनी

बिजलियाँ टूट पड़ीं जब वो मुक़ाबिल से उठा

फ़ानी बदायुनी

बे-अजल काम न अपना किसी उनवाँ निकला

फ़ानी बदायुनी

ऐ मौत तुझ पे उम्र-ए-अबद का मदार है

फ़ानी बदायुनी

या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

वो ख़ानुमाँ-ख़राब न क्यूँ दर-ब-दर फिरे

फ़ना निज़ामी कानपुरी

हुस्न का एक आह ने चेहरा निढाल कर दिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

घर हुआ गुलशन हुआ सहरा हुआ

फ़ना निज़ामी कानपुरी

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