मौसम Poetry (page 16)

रिश्ता-ए-दिल भी किसी दिन ख़्वाब सा हो जाएगा

रशीद कामिल

तेरे आने का इंतिज़ार रहा

रसा चुग़ताई

तेरे आने का इंतिज़ार रहा

रसा चुग़ताई

रात क्या सोच रहा था मैं भी

रसा चुग़ताई

हम ने तो इस इश्क़ में यारो खींचे हैं आज़ार बहुत

रसा चुग़ताई

झुलसती धूप में ठंडी हवा का झोंका भेज

रऊफ़ अमीर

कभी ग़ुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह

राना सहरी

कुछ इस अदा से सफ़ीरान-ए-नौ-बहार चले

रम्ज़ अज़ीमाबादी

जलने का हुनर सिर्फ़ फ़तीले के लिए था

रम्ज़ अज़ीमाबादी

इस सदी का जब कभी ख़त्म-ए-सफ़र देखेंगे लोग

रम्ज़ अज़ीमाबादी

रूह में घोर अंधेरे को उतरने न दिया

राम रियाज़

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

किसी ने दूर से देखा कोई क़रीब आया

राम रियाज़

बहारें और वो रंगीं नज़ारे याद आते हैं

राम कृष्ण मुज़्तर

दिए जला के हवाओं के मुँह पे मार आया

रख़शां हाशमी

वही इक मौसम-ए-सफ़्फ़ाक था अंदर भी बाहर भी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

फैलती जाएगी चारों सम्त इक ख़ुश-रौनक़ी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

इधर की आवाज़ इस तरफ़ है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तुझे ज़रा दुख और सिसकने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सद-सौग़ात सकूँ फ़िरदौस सितंबर आ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मस्त उड़ते परिंदों को आवाज़ मत दो कि डर जाएँगे

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अली-बिन-मुत्तक़ी रोया

राजेन्द्र मनचंदा बानी

आसमाँ का सर्द सन्नाटा पिघलता जाएगा

राजेन्द्र मनचंदा बानी

रंग मौसम का हरा था पहले

राजेश रेड्डी

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

राजेश रेड्डी

जाने किस ख़्वाब का सय्याल नशा हूँ मैं भी

राज नारायण राज़

सभी अंधेरे समेटे हुए पड़े रहना

रईस सिद्दीक़ी

शहर का शहर बसा है मुझ में

रईस फ़रोग़

मैं तो हर लम्हा बदलते हुए मौसम में रहूँ

रईस फ़रोग़

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