तेरे आने का इंतिज़ार रहा
उम्र भर मौसम-ए-बहार रहा
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ज़िंदगी के सराब भी देखूँ
अक्स-ए-ज़ुल्फ़-ए-रवाँ नहीं जाता
जब भी तेरी यादों का सिलसिला सा चलता है
हाल-ए-दिल पूछते हो क्या तुम ने
आज मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है हयात
अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था
'मीर'-जी से अगर इरादत है
तुझ से मिलने को बे-क़रार था दिल
इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
अल्फ़ाज़ में बंद हैं मआनी
तिरे नज़दीक आ कर सोचता हूँ