अल्फ़ाज़ में बंद हैं मआनी
उनवान-ए-किताब-ए-दिल खुला है
Parveen Shakir
Gulzar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Jaun Eliya
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(514) Peoples Rate This
हर इक दरवेश का क़िस्सा अलग है
अक्स-ए-ज़ुल्फ़-ए-रवाँ नहीं जाता
सिर्फ़ माने थी हया बंद-ए-क़बा खुलने तलक
इस घर की सारी दीवारें शीशे की हैं
हर चीज़ से मावरा ख़ुदा है
'मीर'-जी से अगर इरादत है
जब भी तेरी यादों का सिलसिला सा चलता है
घर में जी लगता नहीं और शहर के
आहटें सुन रहा हूँ यादों की
सामने जी सँभाल कर रखना
उम्र गुज़री रहगुज़र के आस-पास
उन झील सी गहरी आँखों में