मर Poetry (page 13)

घर को अब दश्त-ए-कर्बला लिक्खूँ

रिफ़अत सरोश

शहर-बानो के लिए एक नज़्म

रहमान फ़ारिस

विदा-ए-यार का लम्हा ठहर गया मुझ में

रहमान फ़ारिस

क्यूँ तिरे साथ रहीं उम्र बसर होने तक

रहमान फ़ारिस

शायद कभी ऐसा हो कुछ फ़िल्म सा कर जाऊँ

रज़्ज़ाक़ अरशद

इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है

रज़्ज़ाक़ अादिल

तुम्हीं बताओ वो कौन है जो हर एक लम्हा सता रहा है

रज़िया हलीम जंग

अपने मेहवर से जब उतर जाऊँ

रज़ी रज़ीउद्दीन

वो आँसू जो हँस हँस के हम ने पिए हैं

रज़ा लखनवी

वबाल-ए-जान हर इक बाल है म्याँ

रज़ा अज़ीमाबादी

शर्मिंदा नहीं कौन तिरी इश्वा-गरी का

रज़ा अज़ीमाबादी

मौत भी आती नहीं हिज्र के बीमारों को

रज़ा अज़ीमाबादी

जब उठे तेरे आस्ताने से

रज़ा अज़ीमाबादी

इश्क़ के जाँ-निसार जीते हैं

रज़ा अज़ीमाबादी

हम मर गए प शिकवे की मुँह पर न आई बात

रज़ा अज़ीमाबादी

हर नफ़स मूरिद-ए-सफ़र हैं हम

रज़ा अज़ीमाबादी

धुँद में लिपटे हुए मंज़र बहुत अच्छे लगे

रवी कुमार

रब्त हो ग़ैर से अगर कुछ है

रौनक़ टोंकवी

दौड़े वो मेरे क़त्ल को तलवार खींच कर

रौनक़ टोंकवी

वो तो नहीं मिला है साँसों जिए तो क्या है

रउफ़ रज़ा

जोश पर रंग-ए-तरब देख के मयख़ाने का

रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी

प्यारा सा ख़्वाब नींद को छू कर गुज़र गया

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

दर्द अपना था तो इस दर्द को ख़ुद सहना था

राशिद आज़र

आइने से मुकर गया कोई

राशिद आज़र

टूट जाए तो कहीं उस को भी चैन आता है

रशीदा सलीम सीमीं

मिरे घर के लोग जो घर मुझी को सुपुर्द कर के चले गए

रशीद रामपुरी

इन हसीनों की मोहब्बत का भरोसा क्या है

रशीद रामपुरी

मैं ने काग़ज़ पे सजाए हैं जो ताबूत न खोल

रशीद क़ैसरानी

अपने ज़िंदा जिस्म की गुफ़्तार में खोया हुआ

रशीद निसार

जो मुझे मर्ग़ूब हो वो सोगवारी चाहिए

रशीद लखनवी

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