इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है

इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है

पास साहिल के मुझे प्यास से मर जाना है

क्यूँ दिखाते हो शिकस्ता से पुराने रस्ते

मुझ को तो इक नए सपनों के नगर जाना है

आख़िरी मोड़ पे पहुँची है कहानी लेकिन

ढल गई रात चलो लूट के घर जाना है

बीच में लफ़्ज़ थे तर्सील की नाकामी थी

मैं ने उस को मुझे उस ने भी दिगर जाना है

इतनी आसान नहीं शाएरी 'आदिल'-साहब

लफ़्ज़-ओ-मअनी के समुंदर में उतर जाना है

(582) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Razzaq Aadil. is written by Razzaq Aadil. Complete Poem in Hindi by Razzaq Aadil. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.