उम्र Poetry (page 61)
यूँ तो पहने हुए पैराहन-ए-ख़ार आता हूँ
अहमद नदीम क़ासमी
वो कोई और न था चंद ख़ुश्क पत्ते थे
अहमद नदीम क़ासमी
शुऊर में कभी एहसास में बसाऊँ उसे
अहमद नदीम क़ासमी
मैं वो शाएर हूँ जो शाहों का सना-ख़्वाँ न हुआ
अहमद नदीम क़ासमी
जो लोग दुश्मन-ए-जाँ थे वही सहारे थे
अहमद नदीम क़ासमी
हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है
अहमद नदीम क़ासमी
दिलों से आरज़ू-ए-उम्र-ए-जावेदाँ न गई
अहमद नदीम क़ासमी
गुम रहा हूँ तिरे ख़यालों में
अहमद मुश्ताक़
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बाना
अहमद मुश्ताक़
दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दिया
अहमद मुश्ताक़
ये कौन ख़्वाब में छू कर चला गया मिरे लब
अहमद मुश्ताक़
उजला तिरा बर्तन है और साफ़ तिरा पानी
अहमद मुश्ताक़
थम गया दर्द उजाला हुआ तन्हाई में
अहमद मुश्ताक़
मुझे उस ने तिरी ख़बर दी है
अहमद मुश्ताक़
खड़े हैं दिल में जो बर्ग-ओ-समर लगाए हुए
अहमद मुश्ताक़
कहीं उम्मीद सी है दिल के निहाँ ख़ाने में
अहमद मुश्ताक़
कहाँ की गूँज दिल-ए-ना-तवाँ में रहती है
अहमद मुश्ताक़
इन मौसमों में नाचते गाते रहेंगे हम
अहमद मुश्ताक़
इक उम्र की और ज़रूरत है वही शाम-ओ-सहर करने के लिए
अहमद मुश्ताक़
ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास
अहमद महफ़ूज़
किसी से क्या कहें सुनें अगर ग़ुबार हो गए
अहमद महफ़ूज़
ये एक लम्हे की दूरी बहुत है मेरे लिए
अहमद जावेद
निहाल-ए-वस्ल नहीं संग-बार करने को
अहमद जावेद
शब-ए-माह में जो पलंग पर मिरे साथ सोए तो क्या हुए
अहमद हुसैन माइल
निकली जो रूह हो गए अजज़ा-ए-तन ख़राब
अहमद हुसैन माइल
महशर में चलते चलते करूँगा अदा नमाज़
अहमद हुसैन माइल
सफ़र ऐसा है कहाँ का
अहमद हमेश
अपने जैसे आशिक़ों के नाम
अहमद हमेश
1973 की एक नज़्म
अहमद हमेश
उधर की शय इधर कर दी गई है
अहमद हमेश
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