दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दिया
अब सारी उम्र हाथ हिलाते रहेंगे हम
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(823) Peoples Rate This
हाथ से नापता हूँ दर्द की गहराई को
जहान-ए-इश्क़ से हम सरसरी नहीं गुज़रे
ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है
ये कौन ख़्वाब में छू कर चला गया मिरे लब
अरे क्यूँ डर रहे हो जंगल से
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है
हमारा क्या है जो होता है जी उदास बहुत
आज रो कर तो दिखाए कोई ऐसा रोना
वहाँ सलाम को आती है नंगे पाँव बहार
बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की