दिल फ़सुर्दा तो हुआ देख के उस को लेकिन
उम्र भर कौन जवाँ कौन हसीं रहता है
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तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी से
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बत जिन्हों ने की
इक उम्र की और ज़रूरत है वही शाम-ओ-सहर करने के लिए
बला की चमक उस के चेहरे पे थी
दुनिया में सुराग़-ए-रह-ए-दुनिया नहीं मिलता
दिल में वो शोर न आँखों में वो नम रहता है
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मुझे उस ने तिरी ख़बर दी है
हम उन को सोच में गुम देख कर वापस चले आए
वो जो रात मुझ को बड़े अदब से सलाम कर के चला गया
धुएँ से आसमाँ का रंग मैला होता जाता है
छट गया अब्र शफ़क़ खुल गई तारे निकले