उम्र Poetry (page 63)

क्यूँ न हम अहद-ए-रिफ़ाक़त को भुलाने लग जाएँ

अहमद फ़राज़

कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो

अहमद फ़राज़

जिस सम्त भी देखूँ नज़र आता है कि तुम हो

अहमद फ़राज़

जब तुझे याद करें कार-ए-जहाँ खेंचता है

अहमद फ़राज़

हर एक बात न क्यूँ ज़हर सी हमारी लगे

अहमद फ़राज़

गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा

अहमद फ़राज़

ग़ुरूर-ए-जाँ को मिरे यार बेच देते हैं

अहमद फ़राज़

ऐसे चुप हैं कि ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे

अहमद फ़राज़

बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्र

अहमद अज़ीम

क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं

अहमद अज़ीम

इश्क़ में हो के मुब्तिला दिल ने कमाल कर दिया

अहमद अज़ीम

ऐसा इलाज-ए-हब्स-ए-दिल-ए-ज़ार चाहिए

अहमद अज़ीम

जो मेरे मरने का तमाशा नहीं देखना चाहती

अहमद आज़ाद

हमारी उम्र से बढ़ कर ये बोझ डाला गया

अहमद अता

ये अक्स आप ही बनते हैं हम से मिलते हैं

अहमद अता

किस तरह जवानी में चलूँ राह पे नासेह

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

ज़र्रा भी अगर रंग-ए-ख़ुदाई नहीं देता

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

रोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

क्या कर रहे हो ज़ुल्म करो राह राह का

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

तू नहीं मिलती तो हम भी तुझ को मिलने के नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

जो सामना भी कभी यार-ए-ख़ूब-रू से हुआ

आग़ा हज्जू शरफ़

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

आग़ा हज्जू शरफ़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

उस पेड़ को छुआ तो समर-दार हो गया

अफ़ज़ल मिनहास

गुम-सुम हवा के पेड़ से लिपटा हुआ हूँ में

अफ़ज़ल मिनहास

मिसाल-ए-बर्ग किसी शाख़ से झड़े हुए हैं

अफ़ज़ल गौहर राव

किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरे

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

ये नहर-ए-आब भी उस की है मुल्क-ए-शाम उस का

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

कभी न ख़ुद को बद-अंदेश-ए-दश्त-ओ-दर रक्खा

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

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