किताब-ए-उम्र से सब हर्फ़ उड़ गए मेरे
कि मुझ असीर को होना है हम-कलाम उस का
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मैं डरता हूँ
क्या आग सब से अच्छी ख़रीदार है
अता उसी की है ये शहद ओ शोर की तौफ़ीक़
अगर हम गीत न गाते
फ़ैसला
कोई न हर्फ़-ए-नवेद-ओ-ख़बर कहा उस ने
तुम ख़ूब-सूरत दाएरों में रहती हो
हमें भूल जाना चाहिए
इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा-संज में रखना
एक दिन और ज़िंदा रह जाना
वो अपने आँसू एक नाज़ुक हेयर ड्रायर से सुखाती है
उसे अजब था ग़ुरूर-ए-शगुफ़्त-ए-रुख़्सारी