इस दिल को किसी दस्त-ए-अदा-संज में रखना
मुमकिन है ये मीज़ान-ए-कम-ओ-बेश जला दे
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जहाँ तुम ये नज़्म ख़त्म करोगी
यही बहुत थे मुझे नान ओ आब ओ शम्अ ओ गुल
अगर तुम तक मेरी आवाज़ नहीं पहुँच रही है
हुआ है क़त्अ मिरा दस्त-ए-मोजज़ा तुझ पे
अता उसी की है ये शहद ओ शोर की तौफ़ीक़
दो ज़बानों में सज़ा-ए-मौत
इक शाम ये सफ़्फ़ाक ओ बद-अंदेश जला दे
फ़ैसला
वो अपने आँसू एक नाज़ुक हेयर ड्रायर से सुखाती है
क्या आग सब से अच्छी ख़रीदार है
शाइरी मैं ने ईजाद की
मोहब्बत