बाज़ार-ए-आरज़ू में कटी जा रही है उम्र
हम को ख़रीद ले वो ख़रीदार चाहिए
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
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Parveen Shakir
Rahat Indori
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Javed Akhtar
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Gulzar
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अब सोचिए तो दाम-ए-तमन्ना में आ गए
सड़क के पार चला जा रहा है बचता हुआ
क्या ढूँडने निकली है किसी क़ैस को पागल
ऐसी भी कहाँ बे-सर-ओ-सामानी हुई है
धुँद में खो के रह गईं सूरतें मेहर-ओ-माह सी
इश्क़ में हो के मुब्तिला दिल ने कमाल कर दिया
ऐसा इलाज-ए-हब्स-ए-दिल-ए-ज़ार चाहिए
ऐ शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे
मैं तो सोया भी न था क्यूँ ये दर-ए-ख़्वाब गिरा
दस्तक हवा की सुन के कभी डर नहीं गया
किसे ख़बर कि है क्या क्या ये जान थामे हुए