शाम Poetry (page 32)

दर्द तन्हाई का

राही मासूम रज़ा

साक़ी भले फटकने न दे पास जाम के

राहील फ़ारूक़

ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं

इरफ़ान सत्तार

मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही

इरम ज़ेहरा

मौसमों की बातों तक गुफ़्तुगू रही अपनी

इक़बाल उमर

छतों पे आग रही बाम-ओ-दर पे धूप रही

इक़बाल उमर

असीरों में भी हो जाएँ जो कुछ आशुफ़्ता-सर पैदा

इक़बाल सुहैल

मिले मुझे भी अगर कोई शाम फ़ुर्सत की

इक़बाल साजिद

होते ही शाम जलने लगा याद का अलाव

इक़बाल साजिद

प्यासे के पास रात समुंदर पड़ा हुआ

इक़बाल साजिद

मुझे नहीं है कोई वहम अपने बारे में

इक़बाल साजिद

कटते ही संग-ए-लफ़्ज़ गिरानी निकल पड़े

इक़बाल साजिद

बे-ख़बर दुनिया को रहने दो ख़बर करते हो क्यूँ

इक़बाल साजिद

अस्बाब यही है यही सामान हमारा

इक़बाल पयाम

ये ज़मीं हम को मिली बहते हुए पानी के साथ

इक़बाल नवेद

रात भर कोई न दरवाज़ा खुला

इक़बाल नवेद

जुनूँ में हम रह-ए-ख़ौफ़-ओ-ख़तर से गुज़रे हैं

इक़बाल माहिर

जो ज़ख़्म जम्अ किए आँख-भर सुनाता हूँ

इक़बाल कौसर

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते

इक़बाल अज़ीम

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते

इक़बाल अज़ीम

अपने मरकज़ से अगर दूर निकल जाओगे

इक़बाल अज़ीम

हद्द-ए-निगाह शाम का मंज़र धुआँ धुआँ

इक़बाल अंजुम

छोटी ही सही बात की तासीर तो देखो

इक़बाल अंजुम

घड़ी में अक्स-ए-इंसाँ

इंतिख़ाब अालम

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

इंशा अल्लाह ख़ान

तर्क कर अपने नंग-ओ-नाम को हम

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे छेड़ने को साक़ी ने दिया जो जाम उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान

मिल गए पर हिजाब बाक़ी है

इंशा अल्लाह ख़ान

शफ़क़ के रंग निकलने के बाद आई है

इन्दिरा वर्मा

रोते हैं जब भी हम दिसम्बर में

इंद्र सराज़ी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.