शहर Poetry (page 47)

मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था

इदरीस बाबर

इस से फूलों वाले भी आजिज़ आ गए हैं

इदरीस बाबर

गुल-ए-सुख़न से अँधेरों में ताब-कारी कर

इदरीस बाबर

ख़याल-ए-बद से हमा-वक़्त इज्तिनाब करो

इबरत बहराईची

कोई तो होगा जिस को मिरा इंतिज़ार है

इब्राहीम अश्क

उस की इक दुनिया हूँ मैं और मेरी इक दुनिया है वो

इब्राहीम अश्क

शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या

इब्राहीम अश्क

मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो

इब्राहीम अश्क

मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ

इब्राहीम अश्क

मैं कब रहीन-ए-रेग-ए-बयाबान-ए-यास था

इब्राहीम अश्क

करें सलाम उसे तो कोई जवाब न दे

इब्राहीम अश्क

गुलशन में ले के चल किसी सहरा में ले के चल

इब्राहीम अश्क

जब शहर के लोग न रस्ता दें क्यूँ बन में न जा बिसराम करे

इब्न-ए-इंशा

इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या

इब्न-ए-इंशा

बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ

इब्न-ए-इंशा

सब माया है

इब्न-ए-इंशा

फिर शाम हुई

इब्न-ए-इंशा

लब पर नाम किसी का भी हो

इब्न-ए-इंशा

कुछ दे इसे रुख़्सत कर

इब्न-ए-इंशा

कातिक का चाँद

इब्न-ए-इंशा

झुलसी सी इक बस्ती में

इब्न-ए-इंशा

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

दिल-आशोब

इब्न-ए-इंशा

दरवाज़ा खुला रखना

इब्न-ए-इंशा

ऐ मिरे सोच-नगर की रानी

इब्न-ए-इंशा

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा

इब्न-ए-इंशा

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

इब्न-ए-इंशा

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

इब्न-ए-इंशा

जल्वा-नुमाई बे-परवाई हाँ यही रीत जहाँ की है

इब्न-ए-इंशा

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.