सूरज Poetry (page 19)

वो जो अब तक लम्स है उस लम्स का पैकर बने

हकीम मंज़ूर

टूट कर बिखरे न सूरज भी है मुझ को डर बहुत

हकीम मंज़ूर

मिरे वजूद की दुनिया में है असर किस का

हकीम मंज़ूर

बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है

हकीम मंज़ूर

आग जो बाहर है पहुँचेगी अंदर भी

हकीम मंज़ूर

है इतना ही अब वास्ता ज़िंदगी से

हैरत गोंडवी

चाँद बन कर चमकने वाले ने

हैदर क़ुरैशी

जो बस में है वो कर जाना ज़रूरी हो गया है

हैदर क़ुरैशी

अब के उस ने कमाल कर डाला

हैदर क़ुरैशी

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

हैदर अली आतिश

अब ख़ूब हँसेगा दीवाना

हफ़ीज़ जालंधरी

ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई बतलाए कि ये तुर्फ़ा तमाशा क्यूँ है

हफ़ीज़ बनारसी

'लता'

हबीब जालिब

बगिया लहूलुहान

हबीब जालिब

उस रऊनत से वो जीते हैं कि मरना ही नहीं

हबीब जालिब

उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए

हबीब जालिब

तिरे माथे पे जब तक बल रहा है

हबीब जालिब

महताब-सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक-बसर हैं

हबीब जालिब

हम ने सुना था सहन-ए-चमन में कैफ़ के बादल छाए हैं

हबीब जालिब

दिल-ए-तन्हा में अब एहसास-ए-महरूमी नहीं शायद

हबीब हैदराबादी

तेज़ हवाओ अब डरना घबराना कैसा

गुलज़ार वफ़ा चौदरी

कौन सी मंज़िल है जो बे-ख़्वाब आँखों में नहीं

गुलज़ार वफ़ा चौदरी

उस का चेहरा भी चमक में न मिसाली निकला

गुलज़ार बुख़ारी

वक़्त-1

गुलज़ार

ख़ुदा

गुलज़ार

हयात-ए-रवाँ

गुलनाज़ कौसर

राह-ए-उल्फ़त में मक़ामात पुराने आए

गोविन्द गुलशन

है बहुत अँधियार अब सूरज निकलना चाहिए

गोपालदास नीरज

ख़ंजर को रग-ए-जाँ से गुज़रने नहीं देगा

गिरिजा व्यास

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