विसाल Poetry (page 8)

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

हवाएँ अन-पढ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

दुआ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हरीफ़-ए-विसाल

हिमायत अली शाएर

आज न हम से पूछिए कैसा कमाल हो गया

हिलाल फ़रीद

ये विसाल ओ हिज्र का मसअला तो मिरी समझ में न आ सका

हिलाल फ़रीद

आँखों में वो ख़्वाब नहीं बसते पहला सा वो हाल नहीं होता

हिलाल फ़रीद

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

हातिम अली मेहर

चैन पहलू में उसे सुब्ह नहीं शाम नहीं

हातिम अली मेहर

अजब है 'मेहर' से उस शोख़ की विसाल का वक़्त

हातिम अली मेहर

न सही गर उन्हें ख़याल नहीं

हसरत मोहानी

दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग

हसरत मोहानी

या इलाही मिरा दिलदार सलामत बाशद

हसरत अज़ीमाबादी

साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश

हसरत अज़ीमाबादी

हम इश्क़ सिवा कम हैं किसी नाम से वाक़िफ़

हसरत अज़ीमाबादी

कटती है शब विसाल की पलकें झपकते ही

हसनैन आक़िब

जी चाहता है तर्क-ए-मोहब्बत को बार बार

हसनैन आक़िब

खोए हुए पलों की कोई बात भी तो हो

हसनैन आक़िब

दानाइयाँ अटक गईं लफ़्ज़ों के जाल में

हसनैन आक़िब

तू नहीं है तो तिरे हमनाम से रिश्ता रक्खा

हाशिम रज़ा जलालपुरी

था जो एक लम्हा विसाल का वो रियाज़ था कई साल का

हसन रिज़वी

कभी शाम-ए-हिज्र गुज़ारते कभी ज़ुल्फ़-ए-यार सँवारते

हसन रिज़वी

गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना

हसन रिज़वी

न मेरे ख़्वाब को पैकर न ख़द्द-ओ-ख़ाल दिया

हसन नईम

न आरज़ुओं का चाँद चमका न क़ुर्बतों के गुलाब महके

हसन अब्बास रज़ा

गुलाब-ए-सुर्ख़ से आरास्ता दालान करना है

हसन अब्बास रज़ा

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

वो पेच-ओ-ख़म जहाँ की हर इक रहगुज़र में है

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

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