याद Poetry (page 6)

रात याद-ए-निगह-ए-यार ने सोने न दिया

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

लुत्फ़ आता है उन्हें हर ज़ुल्म-ए-नौ-ईजाद में

ज़ैनब बेगम इबरत

घटने वाले थे जब अज़ाब मिरे

ज़हरा क़रार

घटने वाले थे जब अज़ाब मरे

ज़हरा क़रार

किसी की याद-ए-रंगीं में है ये दिल बे-क़रार अब तक

ज़हीर अहमद ताज

बू-ए-गुल रक़्स में है बाद-ए-ख़िज़ाँ रक़्स में है

ज़ाहिदा ज़ैदी

आजिज़ी को चलन किए हुए हैं

ज़ाहिद शम्सी

यूँ भी होता है ख़ानदान में क्या

ज़ाहिद मसूद

नाइन इलेवन

ज़ाहिद मसूद

दार-उल-अमान के दरवाज़े पर

ज़ाहिद मसूद

एक वीरान गाँव में

ज़ाहिद डार

ज़ुल्फ़-ए-ख़मदार में नूर-ए-रुख़-ए-ज़ेबा देखो

ज़ाहिद चौधरी

बे-बर्ग-ओ-बार राह में सूखे दरख़्त थे

ज़हीर सिद्दीक़ी

ख़ुशी से अपना घर आबाद कर के

ज़हीर रहमती

ख़ुशी से अपना घर आबाद कर के

ज़हीर रहमती

तन्हाइयों में आती रही जब भी उस की याद

ज़हीर काश्मीरी

कितना दिलकश है तिरी याद का पाला हुआ अश्क

ज़हीर काश्मीरी

आह ये महकी हुई शामें ये लोगों के हुजूम

ज़हीर काश्मीरी

शब-ए-ग़म याद उन की आ रही है

ज़हीर काश्मीरी

हमराह लुत्फ़-ए-चश्म-ए-गुरेज़ाँ भी आएगी

ज़हीर काश्मीरी

फ़र्ज़ बरसों की इबादत का अदा हो जैसे

ज़हीर काश्मीरी

इक शख़्स रात बंद-ए-क़बा खोलता रहा

ज़हीर काश्मीरी

इक शख़्स रात बंद-ए-क़बा खोलता रहा

ज़हीर काश्मीरी

अब मिरी याद को दामन की हवाएँ देना

ज़हीर काश्मीरी

आँधियाँ उट्ठीं फ़ज़ाएँ दूर तक कजला गईं

ज़हीर काश्मीरी

अब दर्द बे-दयार है और जग-हँसाई है

ज़हीर फ़तेहपूरी

कभी बोलना वो ख़फ़ा ख़फ़ा कभी बैठना वो जुदा जुदा

ज़हीर देहलवी

वो किसी से तुम को जो रब्त था तुम्हें याद हो कि न याद हो

ज़हीर देहलवी

नौ-गिरफ़्तार-ए-क़फ़स हूँ मुझे कुछ याद नहीं

ज़हीर देहलवी

गुल-अफ़्शानी के दम भरती है चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ क्या क्या

ज़हीर देहलवी

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