जाने क्या सूरत-ए-हालात रक़म थी उस में
जो वरक़ चाक हुआ उस को दोबारा देखें
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Anwar Masood
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(619) Peoples Rate This
ये इक और हम ने क़रीना किया
नुमू तो पहले भी था इज़्तिराब मैं ने दिया
ये सच है उस से बिछड़ कर मुझे ज़माना हुआ
फूल का या संग का इज़हार कर
शब को हर रंग में सैलाब तुम्हारा देखें
बे-नियाज़-ए-दहर कर देता है इश्क़
शिकस्त-ए-अहद पर इस के सिवा बहाना भी क्या
नक़्श-ए-यक़ीं तिरा वजूद-ए-वहम बुझा गुमाँ बुझा
वो कश्ती से देते थे मंज़र की दाद
दिल को हम दरिया कहें मंज़र-निगारी और क्या