वो तो मुझ में ही निहाँ था मुझे मालूम न था

वो तो मुझ में ही निहाँ था मुझे मालूम न था

ख़ून बन कर वो रवाँ था मुझे मालूम न था

इतने मजरूह थे जज़्बात हमारे जिस पर

चर्ख़ भी महव-ए-फ़ुग़ाँ था मुझे मालूम न था

प्यास शिद्दत की थी सहरा भी तड़प जाता था

इम्तिहाँ सर पे जवाँ था मुझे मालूम न था

पैर तो पैर यहाँ रूह के छाले निकले

दूर इतना भी मकाँ था मुझे मालूम न था

दिल भी होता है सुना करते थे हर सीने में

दर्द भी उस में निहाँ था मुझे मालूम न था

इश्क़ के बहर में ग़ोता तो लगाया लेकिन

बअ'द में उस के कहाँ था मुझे मालूम न था

फ़ित्ना-गर लूटने वाला सर-ए-बाज़ार यहाँ

इतना शीरीन-ज़बाँ था मुझे मालूम न था

हुस्न-ए-उल्फ़त को समाए हुए सीने में 'निसार'

दिल में इक दर्द जवाँ था मुझे मालूम न था

(807) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha In Hindi By Famous Poet Ahmed Nisar. Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha is written by Ahmed Nisar. Complete Poem Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha in Hindi by Ahmed Nisar. Download free Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha Poem for Youth in PDF. Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo To Mujh Mein Hi Nihan Tha Mujhe Malum Na Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.