अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2528) Peoples Rate This
अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में
लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़
साँस लेते हुए भी डरता हूँ
सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर
अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा
हर इक ये कहता है अब कार-ए-दीं तो कुछ भी नहीं
सिधारें शैख़ काबा को हम इंग्लिस्तान देखेंगे
लगावट की अदा से उन का कहना पान हाज़िर है
जल्वा-ए-दरबार-ए-देहली
जवानी की दुआ लड़कों को ना-हक़ लोग देते हैं