मौत उस बेकस की ग़ायत ही सही

मौत उस बेकस की ग़ायत ही सही

उम्र भर जिस ने मुसीबत ही सही

हुस्न का अंजाम देखें अहल-ए-हुस्न

इश्क़ मेरा बे-हक़ीक़त ही सही

ज़िंदगी है चश्म-ए-इबरत में अभी

कुछ नहीं तो ऐश-ओ-इशरत ही सही

देख लेता हूँ तबस्सुम हुस्न का

ग़म-परस्ती मेरी फ़ितरत ही सही

पर्दा-दार-ए-सादगी है हर अदा

ये तसन्नो बे-ज़रूरत ही सही

दरपय-ए-आज़ार है क़िस्मत तो हो

अब मुझे तुम से मोहब्बत ही सही

हूर-ए-बे-जा की तलाफ़ी कुछ तो कर

ख़ैर इज़हार-ए-नदामत ही सही

ऐ अजल कुछ ज़िंदगी का हक़ भी है

ज़िंदगी तेरी अमानत ही सही

क्या करूँ 'अकबर' दिली जज़्बात को

इस तग़ज़्ज़ुल में क़दामत ही सही

(605) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi In Hindi By Famous Poet Akbar Haidri. Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi is written by Akbar Haidri. Complete Poem Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi in Hindi by Akbar Haidri. Download free Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi Poem for Youth in PDF. Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi is a Poem on Inspiration for young students. Share Maut Us Bekas Ki Ghayat Hi Sahi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.