इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
Anwar Masood
Javed Akhtar
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Habib Jalib
Mohsin Naqvi
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Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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न बज़्म अपनी न अपना साक़ी न शीशा अपना न जाम अपना
फ़र्क़ इतना है कि तू पर्दे में और मैं बे-हिजाब
इश्क़ को जब हुस्न से नज़रें मिलाना आ गया
मैं अब तेरे सिवा किस को पुकारूँ
न साथी है न मंज़िल का पता है
लब ओ रुख़्सार की क़िस्मत से दूरी
ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा होगा
जब ज़रा रात हुई और मह ओ अंजुम आए
कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते
दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे